जम्मू-कश्मीर की 90 फीसदी जमीन बाहरी लोगों को नहीं बेची जा सकती : सरकार

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जम्मू | जम्मू एवं कश्मीर के नए भूमि कानून पर चल रहे विवाद के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव रोहित कंसल का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि नए कानून की इसलिए जरूरत थी कि सिस्टम को साफ किया जा सके और ऐसे आसान कानून लाए जाएं, जो लोगों की बेवजह की परेशानी को कम कर सकें और किसी तरह के निहित स्वास्थ की सिद्धि के लिए कोई जगह न बचे। इसी के तहत 11 पुराने कानून निरस्त किए गए हैं। कंसल ने कहा कि नया भूमि कानून न केवल जम्मू-कश्मीर में 90 प्रतिशत से अधिक भूमि को बाहरी लोगों के लिए विमुख होने से बचाएगा, बल्कि कृषि क्षेत्र को बढ़ावा, तेजी से औद्योगिकीकरण, आर्थिक विकास में सहायता करने और जम्मू-कश्मीर में रोजगार सृजित करने में भी मदद करेगा।

सूचना मामलों पर मुख्य सचिव और सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने सोमवार को जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की।

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में जमीन संबंधित कानून में बदलाव किया गया है। बीते दिनों गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में नए भूमि कानून को लेकर निर्देश जारी किया था।

निर्देश के मुताबिक, अब जम्मू-कश्मीर में भारत के किसी भी राज्य का नागरिक आवासीय और कारोबारी उद्देश्य के लिए जमीन खरीद सकता है। केवल कृषि भूमि की खरीद पर रोक जारी रहेगी।

मीडिया से बातचीत करते हुए कंसल ने टिप्पणी की कि पुरानी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की सेवा (उद्धार) के लिए निरस्त किए गए कानून बनाए गए थे, मगर अब आधुनिक आर्थिक आवश्यकताओं के लिए इन्हें संशोधित किए जाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा उन्होंने उसे अस्पष्ट विरोधाभासी भी बताया।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की पुरानी भूमि कानून प्रणाली उस वक्त शायद सही रही होगी, जब इसकी शुरुआत रही होगी। क्योंकि, तब ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था को समर्थन करना था। लेकिन अब ये अप्रचलित हो चुका है। पुराना भूमि कानून आज के संदर्भ में अप्रासंगिक है। रोहित कंसल ने पुरानी भूमि कानून प्रणाली को जनविरोधी भी कहा और इसमें वर्तमान परि²श को देखते हुए बदलाव का समर्थन किया।

उन्होंने नए भूमि कानून को आधुनिक और प्रगतिशील बताया। कंसल ने कहा कि इसी तरह की तर्ज पर कई नए कानून बनाए गए हैं, जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे अन्य राज्यों में बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी कृषि भूमि जम्मू-कश्मीर के बाहर किसी व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं की जा सकती है, लेकिन केवल जम्मू-कश्मीर के भीतर के किसी कृषक को बेची जा सकती है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कृषि प्रयोजन के लिए उपयोग की गई कोई भी भूमि किसी भी गैर-कृषि प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं की जा सकती है।

उन्होंने इस बात की ओर से भी इशारा किया कि कृषि भूमि और कृषक की शर्तो को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें न केवल कृषि, बल्कि बागवानी और संबद्ध कृषि गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।

कंसल ने कहा कि कृषक को “एक व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है। एक व्यक्ति, जो जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में व्यक्तिगत रूप से भूमि पर खेती करता है।”

उन्होंने इस पर जोर दिया कि केंद्र शासित प्रदेश में 90 प्रतिशत से अधिक भूमि एक कृषि भूमि है, जो जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के पास संरक्षित है।

बयान में कहा गया है कि नए प्रावधान न केवल पुराने कानूनों के उल्लंघन को दूर करते हैं बल्कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के कृषि और औद्योगिक विकास में सहायता के लिए आधुनिक और सक्षम प्रावधान प्रदान करते हैं। जबकि निरस्त कानूनों के प्रगतिशील प्रावधानों को संशोधित भूमि राजस्व अधिनियम में बनाए रखा गया है, वहीं मौजूदा कानूनों को आधुनिक बनाने के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।

आईएएनएस


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