उत्तराखंड: सुरंग के अंदर फंसे सभी 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक निकाला गया
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल के अंदर 12 नवंबर की सुबह 5:30 बजे से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने में सफलता मिल गई है. मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन का 17वां दिन रहा. हर कोई उम्मीद कर रहा था कि अब सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा और उम्मीद के अनुरूप मंगलवार की रात करीब 8 बजे से मजदूरों को बाहर निकालने का सिलसिला शुरू हुआ.
इसी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हर किसी के चेहरे पर मुस्कान आ गई. सभी खुश दिखे. खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौके पर मौजूद रहे और सुरक्षित बाहर निकल रहे मजदूरों को गले लगा लिया.
दरअसल, सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों ने 17 दिनों के इंतजार के बाद आखिरकार बाहर आने में सफलता पाई. सभी 41 मजदूरों को 17 दिनों के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. सुरंग के बाहर खड़े मजदूरों के परिजनों से लेकर आसपास के लोगों के लिए जैसे जश्न की रात हो. लोग झूमते और नाचते दिखे. कई स्थानीय लोग मिठाईयां बांटते भी दिखें.
उपरी विडियो में यह बंधु, आस्ट्रेलिया के टनल एक्सपर्ट श्री Arnold Dix है। उत्तराखंड #TunnelRescue ऑपरेशन के दरमियान कई बार स्थानीय देवता से प्रार्थना करते देखे गये है।
आस्था और विज्ञान.. 🙌 pic.twitter.com/YQYk1wBLly
— Dr. Jitendra Nagar (@NagarJitendra) November 28, 2023
12 नवंबर की सुबह 5: 30 बजे सिलक्यारा टनल में एक बड़ा हादसा हो गया था, जिसमें 41 मजदूर टनल के अंदर फंस गए थे. उन्हें निकालने के लिए 200 कर्मचारियों के साथ केंद्रीय और राज्य की तमाम एजेंसियां, नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी रही.
अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स की टीम भी इस रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रही थी. इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार मुख्यमंत्री से हर पल की अपडेट ले रहे थे. मुख्यमंत्री ने अपना मिनी सचिवालय भी वहीं बना लिया. यहीं से सारे काम किए. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी मौके पर मौजूद रहे. सभी हर दिन रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेते रहे. पीएमओ से भी पांच सदस्यीय टीम आई और उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाली.
भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने भी इस बड़े और मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन में अपना योगदान दिया. इस ऑपरेशन में कई अड़चनें और परेशानियां भी आईं. 21 नवंबर को 56 मीटर का पाइप टनल के आर पार हुआ. उसी से मजदूरों तक कैमरा पहुंचाया गया, जिससे मजदूरों का पहला वीडियो देश के सामने आया. उसके बाद इसी पाइप से टनल के अंदर फंसे मजदूरों तक खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाया जाता था.
अमेरिकन हैवी ऑगर मशीन भी बुलवाई गई थी लेकिन 47 मीटर की ड्रिलिंग के बाद मशीन भी फेल हो गई थी. उसके बाद पहाड़ के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया. 36 मीटर तक की ड्रिलिंग की गई थी जब टनल के अंदर 47 मीटर की ड्रिलिंग के बाद ऑगर मशीन फेल हुई, तो सारी उम्मीदें रैट माइनर्स पर टिक गईं. उसके बाद सेना ने मोर्चा संभाला और रैट माइनर्स ने मैनुअल खुदाई की. 57 मीटर की खुदाई करने के बाद ब्रेकथ्रू मिला और आखिरकार सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने में बड़ी सफलता मिल गई.
आईएएनएस