कोरोना वायरस अमेरिका में तेजी से क्यों फैल रहा
बीजिंग | अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की कुल संख्या 46 लाख से अधिक हो गई है और मौत के मामलों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। देखा जा सकता है कि महामारी अब भी अमेरिका में तेजी से फैल रही है। पिछले जनवरी में देश में पहला मामला आने के बाद अमेरिका ने महामारी को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश शुरू की। इसके अतिरिक्त नस्लवाद विरोधी प्रदर्शन बार-बार हुए और अर्थव्यवस्था को बचाने में भारी राशि का इस्तेमाल किया गया।
सर्वविदित है कि अमेरिका में आम चुनाव होने वाले हैं। महामारी को राजनीतिक मसला बनाना अपरिहार्य है। लेकिन यह स्पष्ट है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सार्वजनिक विश्वास महामारी की वजह से कमजोर हो रहा है।
अमेरिकी विश्वविद्यालय द्वारा जारी जनमत संग्रह के परिणाम के अनुसार कोरोना वायरस से जुड़ी सूचनाओं की चर्चा में 65 प्रतिशत उत्तरदाता पूर्ण रूप से अमेरिकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथोनी फौसी पर विश्वास करते हैं, जबकि 67 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे ट्रंप पर भरोसा नहीं करते हैं।
हालांकि विपक्षी पार्टी ने विरोध किया, लेकिन ट्रंप और उप राष्ट्रपति माइक पेंस लंबे समय तक सार्वजनिक स्थलों में मास्क पहनने से परहेज करते रहे, जिससे मास्क विवाद का केंद्र बना।
इसके अतिरिक्त, कोविड-19 महामारी से अमेरिका में चिकित्सा व्यवस्था की कमी भी दिखाई गई। निजी विभाग अमेरिका में चिकित्सा सेवा के मुख्य प्रदाता हैं, जिसके कारण सरकार को सभी मरीजों का इलाज करने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विलियम चेक्ली ने कहा कि समस्या यह है कि अमेरिका के अस्पतालों में गैर बीमा मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सकता है।
दरअसल, दुनिया में सबसे विकसित देश होने के नाते अमेरिका में सबसे श्रेष्ठ चिकित्सा उपकरण और तकनीकें मौजूद हैं, औद्योगिक विनिर्माण का आधार भी मजबूत है। अगर अमेरिका समस्या को स्वीकार करे और अन्य देशों के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा, तो महामारी पर जल्द ही काबू पाया जा सकेगा।
आईएएनएस