“मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या?”, बोले पुरी के शंकराचार्य

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आने वाली 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसे लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. इस बड़े कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे.

इस कार्यक्रम को लेकर ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का एक बयान सामने आया है.

उन्होंने बुधवार (03 जनवरी) को रतलाम में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि वह 22 जनवरी 2024 को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में शामिल होने के लिए अयोध्या नहीं जाएंगे.

रतलाम में त्रिवेणी तट पर हिंदू जागरण सम्मेलन को संबोधित करने आए शंकराचार्य निश्चलानंद ने मिडिया से बातचीत में कहा, “मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या? मेरे पद की भी मर्यादा है. राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊं”. उन्होंने कहा कि जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह नहीं होनी चाहिए.

शंकराचार्य निश्चलानंद ने कहा, “मैं किसी भी अन्य सनातनी हिंदू की तरह खुश हूं, खासकर इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित करने में विश्वास नहीं करते हैं. वह बहादुर हैं और हिंदुत्व और मूर्ति पूजा की अवधारणा पर गर्व करते हैं. वह कायर नहीं है जो खुद को धर्मनिरपेक्ष दर्शाते है. लेकिन मैं शंकराचार्य के रूप में वहां क्या करूंगा? जब मोदीजी मूर्ति को छूएंगे और उसे वहां स्थापित करेंगे, तो क्या मैं ताली बजाऊंगा और उनकी जय-जयकार करूंगा.”

शंकराचार्य ने हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता के लिए PM मोदी की प्रशंसा की. उन्होंने यह भी कहा, “तीर्थयात्राओं को अब विकास के नाम पर पर्यटन के केंद्रों में बदल दिया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि तीर्थ स्थलों को भोग स्थलों में बदल दिया जा रहा है…”

उन्होंने कहा, “हमारे मठ को अयोध्या में 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए निमंत्रण मिला है, जिसमें कहा गया है कि अगर मैं वहां आना चाहता हूं, तो मैं अधिकतम एक व्यक्ति के साथ आ सकता हूं. अगर मुझे वहां 100 लोगों के साथ रहने की इजाजत होती तो भी मैं उस दिन वहां नहीं जाता.”

शंकराचार्य निश्चलानंद ने आगे कहा, “मैं पहले भी अयोध्या जाता रहा हूं और भगवान राम के दर्शन के लिए भविष्य में भी उस धार्मिक नगर का दौरा करूंगा, खासकर तब जब सदियों से अवरुद्ध काम आखिरकार हो रहा है. लेकिन मंदिर में रामलला की मूर्ति की स्थापना शास्त्रिय विधि (हमारे शास्त्रों के सिद्धांत) के अनुसार की जानी चाहिए. गोवर्धन पीठ/मठ का अधिकार क्षेत्र प्रयाग तक है, लेकिन पूरे 22 जनवरी के धार्मिक कार्यक्रम के लिए न तो हमारी सलाह ली गई और न ही हमारा मार्गदर्शन मांगा गया.”

बता दें कि निश्चलानंद सरस्वती पुरी के पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धन पीठ के वर्तमान 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं.

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क

 


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