शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने उत्तरी, पश्चिमी मोर्चे पर संकटपूर्ण हालात पर चर्चा की

(फाइल फोटो: आईएएनएस)

The Hindi Post

नई दिल्ली: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने सोमवार को उत्तरी और पश्चिमी दोनों मोचरें पर संचालन संबधी हालात की समीक्षा के लिए सन्य कमांडरों के सम्मेलन (कांफ्रेंस) के दूसरे चरण की अध्यक्षता की। इस दो दिवसीय बैठक में सभी शीर्ष कमांडर भाग ले रहे हैं, जिनमें उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी भी शामिल हैं।

सेना के कमांडरों ने उत्तरी और पश्चिमी दोनों मोचरें पर भारत की संचालन स्थिति के बारे में पूरी चर्चा की।

इस दो दिवसीय सम्मेलन का दूसरा चरण 27 मई से 29 मई तक आयोजित पहले चरण की बैठक के बाद आयोजित किया गया है।

पहले चरण के दौरान, भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने लद्दाख और सिक्किम क्षेत्रों में चीन के घुसपैठ के प्रयासों पर चर्चा की थी।

सम्मेलन मूल रूप से अप्रैल के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। बाद में, इसे मई और जून के दौरान दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

मंगलवार को सम्मेलन समाप्त होने के बाद, जनरल नरवने दोनों स्थानों पर अस्थिर जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए लद्दाख और कश्मीर के लिए रवाना होंगे।

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में व्याप्त तनाव के बीच सैन्य प्रमुख की यह यात्रा ऐसे समय में होगी, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा से कुछ मीटर की दूरी पर हजारों भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया है।

जनरल नरवने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के पार सुरक्षा बलों की तैयारियों की समीक्षा करेंगे।

सीमा मुद्दे को सुलझाने और पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए सोमवार को भारतीय और चीनी दोनों पक्षों के कॉर्प्स कमांडरों ने मोल्दो में बैठक की।

तनाव को दूर करने के लिए छह जून को पहली बार हुई बैठक के बाद इस तरह की यह दूसरी बैठक है।

इससे पहले भारत की ओर से 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन ने बैठक की थी।

आईएएनएस

 


The Hindi Post
error: Content is protected !!