ISRO ने हासिल की बड़ी उपलब्धि, ऐसा करने वाले बना चौथा देश, प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई

सांकेतिक तस्वीर (AI Photo)

The Hindi Post

नई दिल्ली | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को कहा कि स्पैडेक्स मिशन के उपग्रहों की सफल डॉकिंग (एक दूसरे से जोड़ देना) के साथ ही भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है.

ISRO ने दो छोटे अंतरिक्ष यानों – एसडीएक्स01, चेजर, और एसडीएक्स02, टारगेट – के विलय की जानकारी दी. स्पेस एजेंसी ने बताया कि प्रत्येक स्पेसक्राफ्ट का वजन लगभग 220 किलोग्राम है.

ये उपग्रह, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन का हिस्सा थे. इन्हें 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था.

भारत अब डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया है.

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई! एक ऐतिहासिक क्षण.”

पोस्ट में आगे कहा गया है, “डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हो गई. भारत सफल अंतरिक्ष डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया. पूरी टीम को बधाई! भारत को बधाई.”

अंतरिक्ष विभाग के सचिव, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने इसरो टीम को बधाई दी.

डॉकिंग तकनीक स्वदेशी तौर पर विकसित की गई है और इसे ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ नाम दिया गया है.

ISRO का मानना ​​है कि स्पैडेक्स मिशन, कक्षीय डॉकिंग में भारत की क्षमता स्थापित करने में मदद करेगा, जो भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है.

अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल होने के अलावा, डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत के आगामी अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें चंद्र मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना, तथा पृथ्वी से जीएनएसएस के समर्थन के बिना चंद्रयान-4 जैसे चंद्र मिशन शामिल हैं.

ISRO के अनुसार डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत शक्ति के हस्तांतरण का भी प्रदर्शन करेगा, जो भविष्य के अनुप्रयोगों जैसे कि अंतरिक्ष में रोबोटिक्स, समग्र अंतरिक्ष यान नियंत्रण और अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन के लिए आवश्यक है.

आईएएनएस

 


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