रूस-यूक्रेन संघर्ष से पता चलता है, आत्मनिर्भर होना जरूरी : राजनाथ

The Hindi Post

नई दिल्ली | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डाला है कि आत्मनिर्भर होना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

सिंह ने नौसेना के कमांडर सम्मेलन के दौरान कहा कि भारतीय नौसेना, जो सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल में सबसे आगे रही है, को को नेतृत्व करते रहना चहिये और भारत के समुद्री व्यापार, सुरक्षा और राष्ट्रीय समृद्धि के लिए एक आवश्यक गारंटर बने रहना चाहिए।

उन्होंने कहा, “यह जानकर खुशी हो रही है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप नौसेना ने अपने पूंजी बजट का 64 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था में पुन: निवेश किया है। मुझे बताया गया है कि आधुनिकीकरण बजट का चालू वित्तवर्ष में स्वदेशी खरीद की ओर 70 प्रतिशत तक बढ़ना तय है।”

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रक्षा मंत्री ने पिछले कमांडर सम्मेलन के बाद आईएनएस हंसा (गोवा), आईएनएस विशाखापत्तनम, पी15बी परियोजना का पहला जहाज, चौथी पी75 पनडुब्बी आईएनएस वेला और नौसेना की दूसरी पी8आई स्क्वाड्रन आईएनएएस 316 जैसी प्रमुख नौसेना इकाइयों की कमीशनिंग पर नौसेना की सराहना की।

उन्होंने यह भी कहा कि 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, “नौसेना स्वदेशीकरण में सबसे आगे रही है, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि अब तक हमने जो प्रगति की है, उसका लाभ उठाएं।”

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उन्होंने कहा, “मैं वरिष्ठ नेतृत्व से भविष्य की क्षमता विकास पर अपना ध्यान बनाए रखने का आग्रह करता हूं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश की समुद्री शक्ति हमारे आर्थिक हितों के अनुरूप बढ़े।”

उन्होंने कहा कि पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत, विक्रांत की डिलीवरी एक और मील का पत्थर जैसा इवेंट होगा।

सिंह ने कहा, “मुझे पता है कि जहाज ने तीन समुद्री परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। हमारी आजादी के 75वें वर्ष में जहाज की कमीशनिंग करने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है। यह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पहल के प्रति एक उपयुक्त सम्मान होगा।”

आईएएनएस

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