गणतंत्र दिवस हिंसा का आरोपी लक्खा सिधाना गैंगस्टर से बना सामाजिक कार्यकर्ता
चंडीगढ़ | गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने लखबीर सिंह उर्फ लक्खा सिधाना का नाम गणतंत्र दिवस की किसान रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के मुख्य आरोपियों में से एक के रूप में लिया जा रहा है, जो पंजाब के बठिंडा जिले के एक गांव का रहने वाला है। सिधाना ने किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीति चमकाने का सपना देखा। वह किसानों के आंदोलन के माध्यम से राजनीति में बड़ा नाम कमाने की चाहत पाले हुए है।
बताया जा रहा है कि वह 25 नवंबर से ही राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में काफी सक्रिय रहा है और आंदोलन को गति देने के लिए उसका रुख भी आक्रामक रहा है।
सिधाना, जो किसी समय पर गैंगस्टर रह चुका है, वह अब खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता दर्शाकर राजनीति में प्रवेश करने का लक्ष्य रखे हुए है। 2012 के विधानसभा चुनावों से पहले उसे कई मामलों में बरी कर दिया गया था, जिसे पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, जिसका नेतृत्व कभी मनप्रीत सिंह बादल ने किया था, जो कि फिलहाल पंजाब में कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री हैं।
किसान नेताओं ने फिलहाल सिधाना से दूरी बना ली है और वे अब लाल किले पर हिंसा भड़काने के लिए उसे दोषी ठहरा रहे हैं।
सिधाना बठिंडा जिले के सिधाना गांव का रहने वाला है। एक समय पर वह शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से भी जुड़ा रहा है।
उसे पहली बार 2004 में जेल की हवा खानी पड़ी थी और इसके बाद 2017 तक उसे कई बार सलाखों के पीछे जाना पड़ा।
इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर वह तब सुर्खियों में आया था, जब उसने मांग की थी कि अंग्रेजी के अलावा सभी आधिकारिक साइनबोर्ड पंजाबी में होने चाहिए।
सिधाना के अलावा पंजाबी अभिनेता से सामाजिक कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू पर लाल किले में धार्मिक झंडा फहराने के लिए लोगों को भड़काने का आरोप है। सिद्धू को लाल किले में जुटी भीड़ में देखा गया था और उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने ही प्रदर्शनकारियों को लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहराने के लिए उकसाया।
पंजाब के मुक्तसर जिले में 1984 में पैदा हुए सिद्धू ने कानून की पढ़ाई की है।
उनकी पहली पंजाबी फिल्म ‘रमता जोगी’ 2015 में रिलीज हुई थी। 2018 में उनकी दूसरी फिल्म ‘जोरा दास नुम्ब्रिया’ हिट रही थी।
सिद्धू को अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद सनी देओल का करीबी माना जाता है। कई आरोप लगने के बाद से वह लापता है। सिद्धू ने बिना किसी परामर्श के निर्णय लेने के लिए किसान नेताओं की आलोचना भी की है।
आईएएनएस