किसी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले अधिकारियों को इन बातों का रखना होगा ध्यान … सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर) को कहा कि जब एक संरचना (जैसे घर/दुकान/या कोई ऑफिस आदि) को अचानक ध्वस्त कर दिया जाता है, जबकि अन्य इमारत बनी रहती है (यानि उसे नहीं तोड़ा जाता है), तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका (बुलडोजर कार्रवाई) उद्देश्य अवैध संरचना को गिराना नहीं था बल्कि आरोपी को दंडित करना था.
याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कार्यपालिका केवल आरोपों के आधार पर किसी व्यक्ति को दोषी घोषित नहीं कर सकती.
वही जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर राज्य सरकार के अधिकारी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति को ध्वस्त करते हैं तो यह पूरी तरह से अन्याय होगा.
शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि संविधान के तहत, आरोपी के पास भी कुछ अधिकार हैं, और राज्य के अधिकारी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकते.
अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गाइडलाइन्स निर्धारित की है.
इन गाइडलाइन्स के अनुसार, ध्वस्तीकरण करने से कम से कम 15 दिन पहले संपत्ति मालिक को नोटिस देना होगा. ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना नोटिस दिए नहीं की जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, “संपत्ति मालिक को नोटिस पंजीकृत डाक (रजिस्टर्ड पोस्ट) द्वारा भेजा जाएगा. इसे (नोटिस) ध्वस्त की जाने वाली इमारत के प्रमुख भाग पर भी चिपकाया जाएगा.”
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये निर्देश उस स्थिति में लागू नहीं होंगे जब सार्वजनिक भूमि पर अनाधिकृत निर्माण हो या न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया हो.
Reported By: IANS, Edited By: Hindi Post Web Desk