आर्मी हास्पिटल में खून चढ़वाने के बाद HIV संक्रमित हुआ शख्स, SC ने दिया पर्याप्त इलाज का निर्देश
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली छावनी के बेस अस्पताल को उस पूर्व रक्षाकर्मी (रिटायर्ड जवान) को पर्याप्त इलाज मुहैया कराने का आदेश दिया, जिसने आरोप लगाया था कि उसे 2002 में एक सैन्य अस्पताल में दिए गए रक्त आधान (खून चढ़ाने) से एचआईवी हुआ था और अब AIDS है.
याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित से कहा कि लैब की रिपोर्ट और नाको (NACO) की गाइडलाइंस के मुताबिक वह AIDS का मरीज है. उन्होंने तर्क दिया कि उनको इलाज नहीं मिल रहा है, जबकि उन्होंने सभी दस्तावेजों को पेश किया और बताया कि 2002 में एक सैन्य अस्पताल में उन्हें खून चढ़ाया गया था.
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल हैं उन्होंने याचिकाकर्ता को उचित उपचार प्राप्त करने के लिए बेस अस्पताल जाने के लिए कहा. कोर्ट ने बेस अस्पताल के डॉक्टरों से याचिकाकर्ता की वर्तमान चिकित्सा स्थिति की जांच करने और उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए कहा. साथ ही सर्वोच्च अदालत ने संबंधित अधिकारियों को अदालत में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.
शीर्ष अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता को जिस तरह की उनकी स्थिति थी उस हिसाब से चिकित्सा सुविधाएं (बेस हॉस्पिटल, दिल्ली कैंट) नहीं मिलीं. 2014 में, संबंधित प्राधिकारी ने एचआईवी परीक्षण किया था और याचिकाकर्ता को बताया था कि एचआईवी पॉजिटिव नहीं था.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसी वर्ष, उसने एक और परीक्षण करवाया था जिसमें उसके एचआईवी से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी. शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि एक निश्चित अवधि से अधिक दस्तावेजों को संभाल कर नहीं रखने की नीति के मद्देनजर संबंधित प्राधिकरण के पास याचिकाकर्ता का पूरा मेडिकल रिकॉर्ड नहीं है.
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को अपने चिकित्सा खर्च से संबंधित सभी दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लाने की भी अनुमति दी ताकि सत्यापन के बाद संबंधित प्राधिकारी द्वारा इसकी प्रतिपूर्ति की जा सके.
केंद्र के वकील ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को निर्धारित की है.
ians