दिल्ली की सीएम ने पेश की कैग रिपोर्ट, नई शराब नीति से इतने हजार करोड़ के नुकसान का खुलासा…
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Photo: IANS
नई दिल्ली | दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब नीति से जुड़ी कैग की रिपोर्ट पेश की. 14 कैग रिपोर्ट्स में से आज पहली कैग रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई है. इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (AAP) की न्यू एक्साइज पॉलिसी से दिल्ली सरकार को लगभग 2,002.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.
विभिन्न चीजों से अलग-अलग राशियों का नुकसान हुआ, जैसे नॉन कंफर्मिंग वार्ड्स में रिटेल दुकान न खोलना (941.53 करोड़ रुपये), सेरेंडर्ड लाइसेंस का फिर से टेंडर न करना (890 करोड़ रुपये), कोविड-19 का हवाला देते हुए आबकारी विभाग की सलाह के बावजूद जोनल लाइसेंसधारियों को शुल्क छूट देने से (144 करोड़ रुपये) और क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों से सही तरीके से जमा राशि एकत्र न करने से (27 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है. पहले एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था, लेकिन नई शराब नीति में एक शख़्स दो दर्जन से ज़्यादा लाइसेंस ले सकता था.
रिपोर्ट में बताया गया कि पहले दिल्ली में 60 फीसदी शराब की बिक्री 4 सरकारी कॉर्पोरेशन से होती थी, लेकिन नई शराब नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है. शराब बिक्री का कमीशन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. थोक का लाइसेंस शराब वितरक और शराब निर्माता कंपनियों को भी दे दिया गया. नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है.
कैग रिपोर्ट में लाइसेंस उल्लंघन की भी बात सामने आई. नई शराब नीति दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 को लागू करने में असफल रही, जिसके कारण ऐसे थोक विक्रेताओं को लाइसेंस दिए गए जो मैन्युफैक्चरिंग में इंटरेस्टेड थे या रिटेलर्स से संबंध रखते थे. इससे पूरी लिकर सप्लाई चैन प्रभावित हुई, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग, होलसेलर और रिटेल के लाइसेंस के बीच कॉमन बेनिफिशियल ओनरशिप हो गई.
पहले शराब नीति ने एक आवेदक को 54 शराब की दुकानों तक संचालन करने की अनुमति दी, पहले सीमा 2 थी. इससे एकाधिकार और कार्टेलाइजेशन के रास्ते खुले.
पहले, सरकारी निगम 377 रिटेल वेंड का संचालन करते थे, जबकि 262 निजी व्यक्तियों द्वारा चलाए जा रहे थे. नई पॉलिसी के तहत 32 रिटेल जोन बनाए गए, जिसमें 849 वेंड शामिल थे. लेकिन केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए, जिससे ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस कम हो गई.
कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने लाइसेंस देने से पहले किसी की आर्थिक या आपराधिक जांच नहीं की. लिकर जोन के लिए 100 करोड़ के निवेश की जरूरत होती थी, लेकिन नई पॉलिसी में इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया.
कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शराब लाइसेंस देने में राजनीतिक दखल और भाई-भतीजावाद भी किया गया.
IANS