अपने शिष्य का मुकाबला देखने के लिए जाते समय सड़क हादसे में मुक्केबाजी कोच की मौत

The Hindi Post

गांधीनगर | बॉक्सर निखिल दुबे (महाराष्ट्र) ने सोमवार को 36वें राष्ट्रीय खेलों में क्वार्टर फाइनल बाउट जीतने के बाद अपने कोच मुंबई निवासी धनंजय तिवारी को फोन किया. दुबे ने अपनी कोच को गांधीनगर आने और सेमीफइनल मैच देखने का आग्रह किया.

सेमीफाइनल मुकाबले में अपने शिष्य को खेलते हुए देखने के लिए उत्साहित तिवारी ने मुंबई से गांधीनगर, बाइक से जाने का मन बनाया लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था.

निखिल ने जब तक सर्विसेज के बॉक्सर सुमित कुंडू के खिलाफ 75 किग्रा भार वर्ग का सेमीफाइनल जीता, तब तक तिवारी एक भीषण सड़क दुर्घटना का शिकार होकर दम तोड़ चुके थे. अपने मुकाबले के बाद निखिल ने कहा, “रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया. उनका सपना था कि मैं आज किसी तरह अपना मुकाबला जीतूं और स्वर्ण पदक के लिए लड़ूं. उनका नाम धनंजय तिवारी था.”

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निखिल ने आगे कहा, “मैंने कल ही उनसे बात की थी. मैंने उनसे कहा कि मेरा सुमित (कुंडू) के साथ मुकाबला है. उन्होंने मुझसे कहा कि वह आ रहे हैं (गांधीनगर). उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि मेरे पास उसे (सुमित) हराने और स्वर्ण जीतने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि वह मुकाबले के लिए (देखने) आएंगे.”

निखिल ने कहा, “यह मेरे (उनकी मृत्यु) के लिए एक बड़ा सदमा है. एक समय मैं सोच रहा था कि मैं कैसे लड़ सकता हूं. लेकिन वह यही चाहते थे और उन्हें मुझसे उम्मीद थी इसलिए मुझे लड़ना पड़ा. मेरे लिए अब यहां पर सोना (गोल्ड मेडल) जीतना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.”

राष्ट्रीय खेलों के बाद निखिल अपने दिवंगत कोच के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सीधे मुंबई जाएंगे. निखिल ने सड़क दुर्घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “उन्हें ड्राइविंग का बहुत शौक था। उसके पास एक रॉयल एनफील्ड थी और वह नियमित रूप से उस पर लंबी दूरी तय किया करते थे. वह पहले भी कई बार गोवा की यात्रा कर चुके थे. वह तीसरी लेन में थे और अचानक एक ट्रैक्टर पहली लेन से तीसरी लेन में आ गया.”

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पिछले आठ वर्षों से निखिल को न केवल धनंजय ने अपने क्लब में जगह दी बल्कि उनके खर्चों का भी ध्यान रखा क्योंकि उनके परिवार की स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी. निखिल ने कहा “जब मैंने शुरूआत की थी तब वह मेरे सीनियर थे. उन्होंने न केवल रिंग में बल्कि मेरे जीवन में भी मेरा बहुत साथ दिया क्योंकि मेरे परिवार की स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी. वह 8 साल से मेरे साथ थे. मैं सर के साथ मुंबई के वेस्ट मलाड में ट्रेनिंग करता था.”

खेल के साथ निखिल का पहला लगाव स्कूल में शुरू हुआ, जब उनके शिक्षक नीलेश शर्मा ने उन्हें एक जोड़ी दस्ताने सौंपे और उन्हें साई अकादमी में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया, जहां से धनंजय के साथ उनका जुड़ाव शुरू हुआ.

आईएएनएस


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