भीमा कोरेगांव : सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज की
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज कर दी है। गौतम ने महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव के एलगार परिषद-माओवादी लिंक मामले में जमानत मांगी थी। नवलखा ने बंबई हाईकोर्ट के 8 फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। अदालत ने इस मामले में कहा था कि विशेष अदालत के फैसले में दखल देने का कोई ठोस कारण नहीं है।
वहीं अब न्यायाधीश यू. यू. ललित और के. एम. जोसेफ की पीठ ने नवलखा की अपील खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने 26 मार्च को नवलखा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि वह नवलखा द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर रहे हैं।
3 मार्च को, शीर्ष अदालत ने नवलखा की याचिका पर एनआईए से जवाब मांगा था, जहां उन्होंने दलील दी थी कि आरोप पत्र (चार्जशीट) निर्धारित समय अवधि के भीतर दायर नहीं किया गया था और इसलिए, वह डिफॉल्ट जमानत के लिए हकदार हैं।
नवलखा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को डिफॉल्ट जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी हिरासत के 93 दिन बाद चार्जशीट दायर की गई थी। सिब्बल ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह भी कहा था कि दिल्ली से मुंबई तक की दो दिनों की अवधि को भी 90 दिनों की अवधि में गिना जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 मार्च को नवलखा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उन्हें एनआईए के समक्ष तीन सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था। पिछले साल 8 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने मामले में आत्मसमर्पण करने के लिए नवलखा को एक सप्ताह का समय दिया था। उनके खिलाफ प्राथमिकी जनवरी 2020 में फिर से दर्ज की गई थी और उन्होंने पिछले साल 14 अप्रैल को एनआईए के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। नवलखा ने 25 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में 11 दिन बिताए थे और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं।
8 फरवरी को हाईकोर्ट ने नवलखा की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक विशेष अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने को लेकर उसे कोई कारण नजर नहीं आता है, इसलिए उनकी जमानत याचिका खारिज की जाती है।
नवलखा ने 12 जुलाई, 2020 के विशेष एनआईए अदालत के आदेश के खिलाफ पिछले साल हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसने वैधानिक जमानत के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
बता दें कि नवलखा पर आरोप है कि उन्होंने 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके अगले दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई। यह भी आरोप लगे हैं कि इस कार्यक्रम को नक्सली संगठनों का समर्थन प्राप्त था।
आईएएनएस