संसद में सेंगोल की जगह संविधान की प्रति स्थापित की जाए : बोले समाजवादी पार्टी सांसद; अखिलेश यादव का भी बयान आया
नई दिल्ली | नई सरकार के गठन के बाद संसद का पहला सत्र चल रहा है. इस बीच समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी के एक पत्र से विवाद पैदा हो गया है. उन्होंने लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखकर संसद में लगे सेंगोल को हटाने की मांग की है.
यूपी की महाराजगंज संसदीय सीट से सांसद आरके चौधरी ने सेंगोल को राजा महाराजाओं का प्रतीक बताया है. उन्होंने इसकी जगह भारतीय संविधान की प्रति रखने की मांग की है.
साप सांसद ने पत्र में लिखा, ”मैं सदन की कुर्सी की दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया. महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र दस्तावेज है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है. मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए.”
Watch: BJP leader Shehzad Poonawalla says, “The Samajwadi Party does not miss an opportunity to attack Indian culture and history. First, they attacked the Ramcharitmanas, and now they are attacking the Sengol, which is a significant part of Indian and Tamil culture. This is an… pic.twitter.com/j0xj4JyuSo
— IANS (@ians_india) June 27, 2024
वहीं इस मामले पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हमारे सांसद आरके चौधरी ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शपथ लेने गए थे तो प्रणाम नहीं किया था. इसलिए चौधरी को यह भावना आई कि सेंगोल को संसद से हटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को संसद में भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति लगाने में क्या दिक्कत है.
गौरतलब है कि नई संसद भवन के उद्घाटन के समय सेंगोल को स्थापित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे तमिलनाडु मठ से स्वीकार कर लोकसभा स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया था. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया था.