कानपुर: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) द्वारा कानपुर में मेट्रो परियोजना का क्रियान्वयन, परियोजना के निर्माण कार्यों की गति को बनाए रखते हुए, सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। कानपुर मेट्रो परियोजना के लिए शुक्रवार का दिन काफी खास रहा। यूपीएमआरसी के प्रबंधक निदेशक कुमार केशव ने जीटी रोड स्थित शाक-भाजी अनुसंधान केंद्र के परिसर के अंदर तैयार होने जा रहे रिसीविंग सब स्टेशन (आरएसएस) का भूमिपूजन कर निर्माण कार्यों का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के दौरान कंपनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। रिसीविंग सब स्टेशन के माध्यम से ही मेट्रो ट्रेनों एवं स्टेशनों के परिचालन हेतु आवश्यक बिजली की सप्लाई मिलती है।
भूमिपूजन के अवसर पर, प्रबंधक निदेशक कुमार केशव ने हर्ष प्रकट करते हुए कहा, “रिसीविंग सब स्टेशन, मेट्रो परिचालन की एक अहम इकाई होती है, इसके माध्यम से ही संपूर्ण मेट्रो सिस्टम को बिजली की सप्लाई मिलती है, जिससे मेट्रो ट्रेनों एवं मेट्रो स्टेशन्स का परिचालन सुनिश्चित होता है। आज आरएसएस के निर्माण का शुभारंभ कर, मुझे बहुत ख़ुशी महसूस हो रही है, क्योंकि कानपुरवासियों को तय-समय पर मेट्रो सेवाएं उपलब्ध कराने के अपने लक्ष्य की दिशा में हम एक कदम और आगे बढ़ चुके हैं।”
कानपुर मेट्रो के परिचालन हेतु, यूपीएमआरसी, उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीटीसीएल) की बिठूर स्थित ग्रिड से 220 केवी की सप्लाई लेगा, जिसे आरएसएस के माध्यम से 33 केवी की सप्लाई में परिवर्तित कर दिया जाएगा। इसके बाद मेट्रो स्टेशनों में लगे विभिन्न सिस्टमों के ज़रिए स्टेशनों में लाइटिंग, लिफ़्ट्स, एस्कलेटर्स एवं एयर-कंडीशनिंग सिस्टम आदि के संचालन हेतु उपयुक्त 415 वोल्ट्स की एसी सप्लाई में परिवर्तित कर प्रयोग में लाया जाता है। साथ ही, मेट्रो कॉरिडोर की मेन लाइन पर मेट्रो परिचालन के ज़रूरी 750 वोल्ट्स की डीसी सप्लाई में परिवर्तित कर उपयोग किया जाता है।
कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित दो मेट्रो कॉरिडोर्स (पहला- आईआईटी से नौबस्ता एवं दूसरा- कृषि विश्वविद्यालय से बर्रा-8) के लिए कुल दो आरएसएस का निर्माण होना है। पहला आरएसएस, शाक-भाजी अनुसंधान केंद्र में, और दूसरा फ़ूलबाग में बनेगा। ये दोनों आरएसएस अकेले ही दोनों मेट्रो कॉरिडोर्स की बिजली की सप्लाई का भार उठाने में सक्षम होंगे, लेकिन मेट्रो का बाधारहित परिचालन सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में दो आरएसएस तैयार किए जा रहे हैं।
आरएसएस के निर्माण एवं स्थापन का कॉन्ट्रैक्ट, भारतीय कंपनी स्टरलिंग विल्सन प्राइवेट लिमिटेड एवं जीएससी-जेवी के समूह (कॉन्सोर्सियम) को दिया गया है।
आईआईटी से मोतीझील के बीच 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर पर मेट्रो सेवाओं के संचालन हेतु, सितंबर, 2021 तक शाक-भाजी अनुसंधान केंद्र स्थित आरएसएस का काम पूरा करने और इसी साल अक्टूबर माह तक मेन लाइन के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिकल सिस्टम स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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