दिल्ली हिंसा आरोपी अरमान को जमानत देने से इनकार
नई दिल्ली | दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा से संबंधित एक मामले में एक आरोपी अरमान को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए और इस बात पर गौर करते हुए कि उसका उद्देश्य दूसरे समुदाय के लोगों को खत्म करना था, यह फैसला किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने 23 जुलाई के एक आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता के साथ अन्य सहआरोपियों के पास जिस प्रकार के हथियार थे, स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह गैर-कानूनी रूप से इकट्ठी एक भीड़ थी जिसका मकसद दूसरे समुदाय के लोगों को खत्म करना और सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना था। किसी भी स्थिति में यह मुकदमा चलाने का मामला बनता है।”
हिंसा शिव मंदिर के पास हुई थी। इस दौरान दो लोग गोली लगने से घायल हुए, जबकि पांच लोग पथराव में घायल हुए। शाकिर नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था जिसने अरमान और तीन अन्य लोगों की संलिप्तता का खुलासा किया था।
याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने सीसीटीवी फुटेज का भी जिक्र किया जिसमें अरमान के साथ-साथ ‘अन्य दंगाई साथियों’ को घातक हथियारों के साथ दिखाया गया था।
कार्यवाही के दौरान विशेष लोक अभियोजक सलीम अहमद ने अदालत को बताया कि लोक निर्माण विभाग से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज में अरमान के साथ-साथ अन्य सह-आरोपी व्यक्ति दंगों में सक्रिय रूप से शामिल होते दिखाई दिए हैं।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के हाथों में एक ‘डंडा’ पाया गया था, जबकि अन्य सह-अभियुक्त व्यक्तियों के पास पिस्तौल, तलवार, बल्ला और पत्थर आदि थे। अगर जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है और आगे की जांच में बाधा डाल सकता है।
हालांकि, आरोपी के वकील महमूद प्राचा ने इस बात पर जोर दिया कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है।
उन्होंने तर्क दिया कि सीसीटीवी फुटेज को साथ छेड़खानी की गई है।
आईएएनएस