पाकिस्तान में तेजी से बढ़े कोरोना मामले, अस्पतालों में मरीजों के लिए नहीं बची जगह
कराची | पाकिस्तान में ईद के बाद कोरोना वायरस के संदिग्ध मामलों में काफी वृद्धि देखी जा रही है। अस्पतालों में कोरोना के लक्षण वाले मरीजों का तांता लगा हुआ है। सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि अस्पतालों में बेड की कमी है लेकिन तमाम मीडिया रिपोर्ट में पुष्टि के साथ बताया गया है कि जगह नहीं होने की वजह से अस्पताल बड़ी संख्या में मरीजों को लौटा रहे हैं। पाकिस्तान में गुरुवार शाम तक कोरोना के 62689 मामले दर्ज हो चुके हैं और 1283 लोगों की मौत इस वायरस के कारण हो चुकी है। बीते 24 घंटे में अकेले सिंध में 1103 मामले सामने आए हैं। किसी एक दिन में सिंध में अभी तक इतने मामले सामने नहीं आए थे। अब तक 20231 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।
पाकिस्तान में कई देशों की तुलना में कोरोना मामलों और इससे मौतों का आंकड़ा कम रहा है लेकिन ईद से पहले लॉकडाउन में दी गई ढील और करोड़ों लोगों द्वारा इस दौरान सुरक्षात्मक उपायों की खुलेआम की गई घोर अवहेलना के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि देश में इस बीमारी का प्रकोप गहरा सकता है।
इस आशंका को तब बल मिला जब ईद के बाद अचानक अस्पतालों में कोरोना मरीजों या इसके लक्षण वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई। नतीजा यह हुआ कि पहले से ही मरीजों की संख्या और सुविधाओं के अभाव से चरमराए अस्पतालों ने मरीजों को वापस लौटाना शुरू कर दिया है।
कराची स्थित डाउ यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज के ओझा कैंपस के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से कहा, “हमें कई मरीजों की इलाज एंबुलेंस में ही करना पड़ा है और हमने जो बेहतर हो सकता था, उतना करने का प्रयास किया।”
अफसर ने कहा कि मंगलवार और बुधवार को अचानक अस्पताल पहुंचने वाले कोरोना मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई। अस्पतालों में बेड और जगह की कमी पड़ गई जिस वजह से कई मरीजों को प्रारंभिक उपचार और दवाएं देकर लौटा दिया गया। केवल बेहद गंभीर हालत में पहुंच चुके मरीजों को भर्ती किया गया। अस्पताल के बाहर मैदान, कॉरिडोर में फिर भी मरीजों की भीड़ जमा है।
डाउ यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज के प्रवक्ता नसीम ताहिर ने यह माना कि स्थिति गंभीर हुई है लेकिन उन्होंने कहा कि एक भी मरीज को वापस नहीं भेजा गया है, सभी को भर्ती किया गया है।
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज करने वाले डाउ यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज जैसे तमाम अस्पतालों में अब नए मरीजों के लिए जगह नहीं बची है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को पहले ही चेता दिया गया था कि 20 मई के बाद कोरोना हालात संगीन होंगे लेकिन फिर भी कोई इंतजाम नहीं किया गया।
हालांकि, सिंध के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने इससे इनकार किया कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए जगह नहीं बची है। उन्होंने कहा कि अभी भी ‘कुछ अस्पतालों में’ वेंटिलेटर व बेड उपलब्ध हैं। उन्होंने भी माना कि हालात गंभीर हैं लेकिन कहा कि इन्हें संभाला जा सकता है।
सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए जगह नहीं बचने की खबर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर से भी मिली है।
निजी अस्पतालों में भले ही स्थिति सरकारी अस्पतालों जैसी अभी न हुई हो लेकिन देश की अधिकांश आबादी के लिए आर्थिक वजहों से इन अस्पतालों में इलाज के बारे में सोचना भी मुश्किल है।
आईएएनएस