“मुझे कमजोरी महसूस हुई, यह मेरे पीरियड का तीसरा दिन था…” : मीराबाई चानू ने बताया कैसे फिसला मेडल

मीराबाई चानू की फाइल फोटो (आईएएनएस)

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पेरिस | पेरिस में हो रहे ओलिंपिक खेलों में टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सैखोम मीराबाई चानू महिलाओं के 49 किलोग्राम भारोत्तोलन फाइनल में चौथे स्थान पर रही है. वो मेडल नहीं जीत पाई. उनसे देश को मेडल की बहुत उम्मीद थी.

फाइनल मुकाबले के बाद, मीराबाई चानू ने खुलासा किया कि उन्हें प्रतियोगिता के दौरान कमजोरी महसूस हो रहे थी क्योंकि यह उनके पीरियड (मासिक धर्म) का तीसरा दिन था.

मीराबाई ने संवाददाताओं से कहा, “मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं… मैंने देश को पदक दिलाने के लिए अपना 100 प्रतिशत दिया. चोटहिल होने के बाद रिकवरी के लिए बहुत कम समय मिला. मैंने भारत के लिए पदक लाने की पूरी कोशिश की लेकिन यह नियति में नहीं था. यह मेरे मासिक धर्म का तीसरा दिन था इसलिए इसका शरीर पर थोड़ा असर तो पड़ता है.”

मीराबाई ने अपने पहले प्रयास में 85 किग्रा भार उठाकर स्नैच राउंड की शुरुआत की थी. हालांकि 88 किग्रा वर्ग में उनका प्रयास असफल रहा था. मीराबाई अपने दूसरे प्रयास में पहले 86 किग्रा वजन उठाने वाली थी लेकिन कुछ मिनट बाद ही उन्होंने 88 किग्रा वजन उठाने का फैसला किया था.

उन्होंने कहा, “वॉर्म अप के समय सब कुछ ठीक चल रहा था. मैंने स्नैच (88 किग्रा) राउंड में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया. क्लीन एंड जर्क राउंड में भी सब ठीक रहा. मैं पहले थोड़ा लड़खड़ा गई थी. स्टेज पर चलते समय मुझे थोड़ी कमजोरी महसूस हो रही थी. यह मेरे पीरियड का तीसरा दिन था. कोच ने जो भी कहा, मैंने किया. यह सिर्फ नियति थी कि पदक मेरे हाथ से फिसल गया.”

मीराबाई क्लीन एंड जर्क के अपने आखिरी प्रयास में 114 किग्रा वजन नहीं उठा सकीं और इस तरह मेडल की रेस से बाहर हो गई.

 

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस

 


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